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   श्री बद्रीनारायण जी 

भगवान केदार के दर्शन कर हम वापस गुप्तकाशी 3 बजे तक आ गए थे और यहाँ से रुद्रप्रयाग के लिए बस सुबह जाती है तो हम यहीं रुक गए | सायं काल प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किये | मंदिर कुछ ऊँचाई पर स्थित है और पार्श्व में चौखम्बा पर्वत एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है | यहाँ विश्वनाथ मंदिर के साथ ही सटा हुआ अर्ध नारीश्वर मंदिर भी है जहाँ भगवान के दोनों रूपों के दर्शन होते हैं |

मंदिर दर्शन कर हम वापस नीचे आ गए, गोपेश्वर की बस आ चुकी थी और हमने कल के दो टिकेट ले लिए | अगले दिन हम पाँच बजे उठे, मौसम साफ़ था और चौखम्बा पर्वत साफ़ दिख रहा था | चौखम्बा गंगोत्री रेंज का सबसे ऊँचा पर्वत है और इसकी ऊंचाई लगभग 7000 मीटर है, चार चोटियों के कारण  इसे चौखम्बा कहते हैं | बस सात बजे की थी तो आराम से चाय पी और फोटो लिए |

बस उखीमठ – चौपता होकर जाती है और रास्ते में  हिमालयन रेंज के दिव्य दर्शन मिलते रहते हैं | बंदर पूंछ, केदारनाथ से लेकर चौखम्बा सभी चोटियाँ साफ़ दिखाई पड़ती हैं और ये इस यात्रा का सबसे सुंदर रास्ता है | एक घंटे बाद बस चोपता से गुजरी; हरी घास के मैदान, घाटियाँ और दूधिया पर्वत चोटियाँ सभी कुछ जो आप पहाड़ों में कल्पना कर सकते हैं यहाँ देख सकते हैं | बस यहाँ एक ढाबे पर रुकी | बाहर निकलते ही शरीर काँप गया, जबर्दस्त ठण्ड और गलन ने हमारा स्वागत किया, 2650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये स्थान बहुत से ट्रेक्स के लिए बेस कैंप का काम करता है |

तुंगनाथ- चंद्रशिला ट्रेक यहीं से शुरू होता है और इसके आगे मध्यमहेश्वर, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर जाने के लिए ट्रेक हैं ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं और अगर आप कम चलना चाहें तो चोपता गोपेश्वर रोड पर ही अलग – अलग जगहों से यहाँ पहुँच सकते हैं | 

उखीमठ से थोड़ा आगे बढ़ते ही सारी गाँव आता है जहाँ से देओरी ताल पहुँच सकते हैं , थोड़ा आगे चोपता से तुंगनाथ और चंद्रशिला पहुंचा जा सकता है | इसके आगे मंडल से रुद्रनाथ जाया जा सकता है तो कुल मिलाकर देव भूमि की भी ये सबसे पावन भूमि है और यहाँ कदम कदम पर तीर्थ स्थल हैं |

विराट चौखम्भा पर्वत | यहीं से गंगोत्री ग्लेशिअर की शुरुआत होती है | केदारनाथ  धाम से पहले गुप्तकाशी के आकाश में यह हर ओर से दिखाई देता है |
चौखम्भा
गुप्तकाशी बस स्टैंड | यहाँ से सोनप्रयाग, गौरी कुण्ड होकर श्री केदारनाथ यात्रा आरंभ होती है |
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