top of page
गुप्तकाशी-गोपेश्वर मार्ग हिमालय के अनुपम दृश्यों से भरा पड़ा है | चोपता से दिखता ये अनुपम नजारा |
​गुप्तकाशी गोपेश्वर मार्ग, चोपता के पास 

लगभग 12 बजे हम गोपेश्वर पहुँच गए, गुप्तकाशी से ये 100 किमी दूर था और यहाँ से 5 किमी आगे चमोली हम आधे घंटे में जीप से पहुँच गए | चमोली मुख्य रुद्रप्रयाग – बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है और यहाँ से जोशीमठ 60 किमी है इसके आगे गोविंद घाट होकर बद्रीनाथ और 45 किमी है | चमोली से हमें तुरंत ही बद्रीनाथ के लिए बस मिल गयी और हम 2:30 पर जोशीमठ पहुँच गए | यहाँ से आगे सीधी चढ़ाई है और बेहद गहरी घाटी में अलकनंदा नदी बहती है, ये इतनी गहरी है कि नदी बस से दिखती ही नहीं है |

जोशीमठ से विष्णु प्रयाग होते हुए गोविन्द घाट की दूरी 20 किमी है और यहाँ भी बहुत सी जल विद्युत् परियोजनाओं के कारण जगह जगह बड़े भूस्खलन हो रहे हैं और इनके कारण यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता नष्ट हो रही है | गोविन्द घाट से आगे वैली ऑफ़ फ्लावर्स और हेमकुंड साहिब जाने के लिए पैदल रास्ता है और सीधी रोड बद्रीनाथ चली जाती है | यात्रा सीजन में आपको यहाँ बड़े बड़े भंडारे मिलेंगे जिन्हें मुख्यतः सिख श्रध्दालुओं द्वारा चलाया जाता है और ये स्थान नंदा देवी वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी की परिधि में आता है, फिर भी इसके पास इन बड़े डैम का निर्माण समझ से परे है |

गोविन्द्घाट से बद्रीनाथ तक सीधी चढ़ाई है और हम चार बजे बद्रीनाथ पहुँच गए, उतरते ही बेहद ठंडी हवाओं ने हमारा स्वागत किया | तापमान कोई 7-8 डिग्री रहा होगा, लगभग 3200 मीटर की ऊँचाई पर नर और नारायण पर्वत के बीच  स्थित ये एक बड़ी वैली है और इस कारण यहाँ बहुत जोर की हवाएं चलती हैं | मंदिर यहाँ से 1 किमी है और हमने मंदिर के पास ही एक होटल ले लिया | जल्दी से सामान रखा और एक थैले में साफ़ कपड़े रखकर हम मंदिर दर्शन को चल दिए | मंदिर अलकनंदा के पार है और यहाँ भी दो – तीन गर्म पानी के तप्त कुण्ड हैं और इनका भी तापमान लगभग उतना ही है जितना यमुनोत्री में सूर्य कुण्ड का था |

शरीर का तापमान सामान्य करने में कुछ समय लगा और फिर हमने आराम से नहाया, वास्तव में इतने ठण्डे मौसम में इतना गर्म और प्राकृतिक स्नान किसी वरदान से कम नहीं था और नहा के हम बिल्कुल तरोताजा हो गए | प्रसाद और पुष्प लेकर मंदिर में प्रवेश किया, अभी ज्यादा लोग नहीं हैं और मंदिर प्रांगण एकदम साफ और काफी बड़ा है, गर्भ गृह इसके बीचों बीच है और चारों ओर विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर हैं |

इस समय यहाँ वी आई पी दर्शनों के कारण बिल्कुल अन्दर तक जाना मना है और बाहर से ही कुछ दूर से दर्शन हो रहे हैं, पूछने पर पता चला कि सात बजे से सबको दर्शन मिलेंगे | मंदिर में प्रवेश करते ही बाएं ओर हनुमान जी का मंदिर है, आराध्य देव को प्रणाम कर और माथा टेक कर हम मंदिर के पीछे आ गए यहाँ किनारे किनारे चारों ओर से कालीने पड़ी हुई हैं जहाँ आप आराम से भजन कीर्तन और ध्यान कर सकते हैं | इस समय यहाँ भजन कीर्तन चल रहा था हम भी आराम से बैठकर इसका आनंद लेने लगे , थोड़ी दूर पर एक विदेशी श्रद्धालु ध्यान की मुद्रा में बैठा दिखाई दिया और हमारे मंदिर से जाने तक वो इसी मुद्रा में बैठा रहा |

नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित श्री बद्रीनाथ मंदिर | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित श्री बद्रीनाथ मंदिर | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
नर और नारायण पर्वतों के बीच स्थित श्री बद्रीनाथ मंदिर | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
श्री बद्रीनाथ मंदिर 

लगभग सवा सात बजे मंदिर के सभी कपाट खोल दिए गए और हमने अन्दर गर्भ गृह में प्रवेश किया | सामने ही भगवान श्री बद्री विशाल की अलौकिक प्रतिमा है जो ध्यान मुद्रा में है और स्वर्ण क्षत्र और बद्री पेड़ के नीचे है | प्रतिमा स्वयंभू है और शालिग्राम की है, इनके एक हाथ में शंख और चक्र है और दो हाथ विश्राम की पद्मासन मुद्रा में हैं साथ ही कुबेर, नारद, उद्धव और नर –नारायण की भी प्रतिमाएं हैं | भगवान बद्री की प्रतिमा स्वयंभू है और ये आदि शंकराचार्य को अलकनंदा में मिली थी |  इनके साथ ही साथ माता लक्ष्मी, गणेश, गरुड़ और नव दुर्गा की भी प्रतिमाएं हैं | गर्भ गृह में एक अलौकिक अनुभव होता है और एक अलग ही तरह की शांति महसूस होती है | ज्यादा लोग नहीं होने के कारण भगवान के दर्शनों का पूरा आनंद उठाया और पुजारी जी से आशीर्वाद लिया | मिश्रा जी भी दर्शनों को प्राप्त कर भावुक हो गए | पुनः यहाँ आने का अवसर प्राप्त हो और इस यात्रा में जो भूल चूक हुई हों उन्हें वे क्षमा करें ऐसी प्रार्थना कर हमने गर्भ गृह से प्रस्थान किया | मंदिर प्रांगण में ही भगवान नरसिम्हा और शंकराचार्य की भी प्रतिमाएं हैं | सबको प्रणाम कर हम वापस होटल आ गए पास ही रेस्तौरेंट में खाना खाया, मिश्रा जी के लिए मूंगफली के दाने भुनवा लिए, होटल आकर बैग लगायी और सुबह चार का अलार्म लगा हम सो गए |

सुबह उठकर वापस तप्त कुण्ड में स्नान किया और भगवान के दर्शनों हेतु प्रस्तुत हुए, अभी प्रभु का श्रंगार हो रहा है और गर्भ गृह में जाने की अनुमति नहीं है हाँ बाहर मुख्य द्वार से अवश्य दर्शन कर सकते हैं, तो हमें भी उतने से ही संतोष करना पड़ा | हमें पता चला की दर्शन सात बजे से होंगे, और हमारे पास समय कम था क्योंकि आज ही वापस निकलना था और बसें 6 बजे तक छूट जाती हैं तो हम सभी देवी देवताओं के दर्शन कर बाहर आ गए | जिस दिन यात्रा शुरू की थी उस दिन करवाचौथ था और आज धनतेरश है, दिवाली पास होने के कारण यात्रा आज ही समाप्त करनी पड़ी अन्यथा यहाँ रुकने और आस पास के अन्य स्थान जैसे माना गाँव और वसुधरा फाल भी जाने का मन था |

यहाँ का एक और प्रमुख आकर्षण है, नीलकंठ पर्वत | नीलकंठ पर्वत हिमालय के सबसे सुंदर पर्वत शिखरों में से है और जब उगते सूर्य की पहली किरण इस पर पड़ती है तो ये और भी दिव्य प्रतीत होता है |

कुल मिलाकर ये एक अविस्मरणीय यात्रा रही, हिमालय की पावन भूमि में 10 -11 दिन बिताने का अवसर बड़े भाग्य से मिलता है और इन दिनों में हमने लगभग पूरा ही गढ़वाल घूम लिया, समय की कमी होने के कारण कहीं ज्यादा नहीं रुक पाए पर भगवान् की कृपा से यात्रा सुगमता से पूर्ण हुई और मौसम ने बहुत साथ दिया | प्रभु की कृपा से सुमंत मिश्रा जैसे सज्जन से मुलाकात हुई जो अपने आप में महापुरुष हैं, इस दुर्गम यात्रा को वो साइकिल से पूरी कर चुके हैं ये सोच कर ही अचरज होता है और भगवान् पर आपका विश्वास और ढृढ़ होता चला जाता है |

यहाँ से हमने सीधी हरिद्वार की बस ली और शाम सात बजे हम हरिद्वार पहुँच गए, मिश्रा जी यहीं अपने किसी परिचित के यहाँ रुक गए और मैं ट्रेन से वापस लखनऊ आ गया | घर पहुँच कर कुछ दिन अपूर्व शांति का अनुभव हुआ, मिश्रा जी के बारे में सुनकर सभी लोग बहुत प्रसन्न हुए | आज भी अक्सर मिश्रा जी का फ़ोन आ जाता है और हम साथ बिताये उन दिनों को याद करते हैं |

किसी भी यात्रा के लिए तैयारी आवश्यक है पर इससे ज्यादा आवश्यक है मन में श्रद्धा और विश्वास बाकी यात्रा तो प्रभु स्वयं पूरी करा देते हैं |

                                                                           

||ॐ नमः शिवाय ||

cow_edited.png
I am Sirkha Cow....

lost..in Himalayas....

 

  • Instagram
  • Twitter Social Icon
© Copyright. Site building is tiring yet exciting, right clicking is easy, respect is earned.
Love mountains...
Rate UsPretty badNot so goodGoodVery goodAwesomeRate Us

Jai Shri Ram...

bhavraa.com is a private web site with the soul intention of creating awareness about Himalayas, Nature and Climate while interacting with travelling community...

bottom of page